27 December 2010

Day 23, Home, Jabalpur (M.P.)

Date & Day - 25 / 12 / 2010, Saturday...
Place - Dad's Office...
Time - 3:30 to 05:00 PM...


आज (25/12/2010) पापा के एक फ्रेंड आये थे... जिन्हें अपने काम धाम छोड़ कर दूसरें के लिए फ़िक्र करने का बहुत टाइम है... इसलिए लगे मेरी शादी के बारे में बुरा बुरा बोलने, अच्छा तो मैंने पापा के किसी फ्रेंड के मू से आज तक नहीं सुना... really... उनके हिसाब से दुनिया में अगर मेरी शादी न हुई तो वो भूके मर जायेंगे ऐसा लग रहा था उनके कहने से... खेर, उन्होंने अपनी ये बात किसी तरेह ख़त्म की तो एक नया टोपिक छेड़ दिया - पापा कि गाडी का... जो हमने फोर्सफुली दिलवाई है पापा को, सुजुकी एक्सेस... वो बोलने लगे पापा से कि - कुमार, ये तुमने गलत गाडी ले ली... स्कूटी लेना थी हलकी भी है और सस्ती भी... चलो भई, ये बात भी ख़त्म हुई तो फिर एक नया टोपिक छेड़ दिया कि हम और हमारे पापा कब तक रहते हैं ऑफिस में... तो पापा कहने लगे कि ये (यानि मैं) ६ बजे तक रहता है ऑफिस में, उसके बाद अपने दोस्तों के साथ बैठ जाता है...
इतनी देर कि बातचीत में मुझे ये चीज़ बहुत बुरी लगी, बहुत दिल दुख गया ये सुन कर कि आज भी THEATRE को लोगबाग अपनी बातचीत का हिस्सा ही नहीं मानते... पापा मेरी कुंडली शादी के लिए जब भी कहीं भेजते हैं, तो उसमें से वो theatre वाला पन्ना अलग कर लेते हैं जिसमें ये लिखा है की मैं theatre करता हूँ और इतने नाटक कर चुका हूँ, मेरी उपलब्धियों को दूसरों से छुपाते हैं वो... अगर किसी को पता चल जायेगा की मैं नाटक करता हूँ, theatre करता हूँ, ड्रामा करता हूँ तो क्या मेरी शादी नहीं होगी... नहीं होगी तो नहीं होगी... मुझे ज़रुरत भी नहीं ऐसे फ़िज़ूल के रिश्ते की जो मुझे मेरे सपने से अलग कर दे... लेकिन, ऐसा क्यों है... बुरा इसलिए भी लगा कि दोस्तों के साथ बैठने का एक और भी मतलब निकलता है - दारु पीता है अपने दोस्तों के साथ...
यारों... कम से कम MERA THEATRE शराब से तो कहीं ज्यादा अच्छा है ही... मुझे theatre में जीने का मकसद मिला है, मुझे theatre ने क्या दिया है, ये शायद मैं नहीं बता पाऊं क्योंकि शायद अभी तक ऐसे शब्द ही नहीं बने जो मेरी जुबां बोल सकें... मुझे आप सब कि हेल्प चाहिए... जब भी कभी आपके शहर में नाटक हों, उन्हें देखने ज़रूर जाएँ... please... मैं और मेरे साथी ये प्रूव करना चाहते हैं कि THEATRE से भी घर चलाया जा सकता है... बहुत से लोगों के घर तो चल भी रहे हैं... मैं तो यहाँ तक कहूँगा की THEATRE से ज्यादा मानसिक श्रम मांगनेवाला काम की है ही नहीं...


Jai Theatre  

23 December 2010

Day 22, Office, Jabalpur (M.P.)

प्यार कभी नाप तौल के, थोडा थोडा करके, कंजूसी से नहीं, शर्तों पे नहीं करना चाहिए या अगर आप पहले से ही प्यार में हैं तो किन्ही भी परिस्तिथियों के चलते अपने प्यार का अपने हाथों गला न घोंटें... विश्वास रखें अगर आपका प्यार सच्चा है तो आपकी बड़ी से बड़ी परेशानी या परिस्तिथि चुटकी बजाते ही, जल्दी ही हल हो जाएगी. बस आपको एक काम करते चले जाना है - अपने प्यार की दौलत 'अपने प्यार' पर लुटाते चले जाईये... अगर आप सोच समझ कर प्यार करेंगे कि  हमारे परिवार वाले नहीं मानेगे या हम दोनों को आगे चल कर प्रॉब्लम हो सकती है या अगर हमारे घरवाले नहीं माने तो हम शादी नहीं करेंगे वगेहरा वगेहरा तो ऐसे तो इस दुनिया से प्यार ख़त्म हो जायेगा.. और एक बात बताऊँ - ऐसा हो भी रहा है... दुनिया से प्यार ख़त्म हो रहा है... सच मैं... देख रहा हूँ अपने आस पास कि लोग अब अपनी शर्तों पे प्यार करने लगे हैं और अगर प्यार करते भी हैं तो इज़हार नहीं करते... भई देखो, प्यार भी एक फीलिंग है गुस्से या नाराज़गी कि तरह... वो एक्सप्रेस होना चाहती है, दुनिया की कोई भी फीलिंग एक्सप्रेस होना चाहती है... उसे होने दीजिये एक्सप्रेस... नहीं तो उस फीलिंग का कोई मतलब नहीं है... वो फीलिंग ही क्या जो एक्सप्रेस न हो पाए... दिल मैं रखे रहने से अच्छा की उसे एक्सप्रेस कर दो... जाओ यार, बोल दो उससे अपने दिल कि बात, भले ही तुम्हारा 'प्यार' किसी और को प्यार करता हो, तो भी, जाओ, जाके बोल दो उससे अपने दिल कि बात... DON'T EVER LET YOUR LOVE GO... Please... I beg you... Mujhe bahut dukh hota hai jab koi kisi se alag hota hai...

Vicky Tiwari


17 December 2010

Day 21, Home, Jabalpur (M.P.)

ये मेरी नयी कविता है जिसे हमने कल (१७/१२/२०१०) ही लिखा है. प्यार... बड़ा ही खूबसूरत एहसास होता है ये... इस कविता को मैंने भावनाओं में रहकर लिखा है, इसलिए इसमें आपको मोहब्बत ही मोहब्बत मिलेगी... इस कविता को इसकी तासीर समझते हुए पढियेगा, आपको अच्छा लगेगा वरना मेरा लिखना बेकार जायेगा :

Wo Do Til Wali Ladki


वो
दो तिल वाली लड़की
मासूम
खूबसूरत
लेकिन
हैरान
परेशां
भ्रमित भी
इतनी सुन्दर
की
अपनी
खूबसूरती की दौलत
गाल पे पड़ने वाले
गड्ढे पर
दूसरे गाल पे
दो काले पहरेदार
बैठा रखे हैं
वो जिस दिन
मेरी ज़िन्दगी में आई
वैसे ही एक दिन
चली भी गयी
शायद
वो दो पहरेदार ही
उसे
ले गए
मुझसे दूर
लेकिन
जाने से
कुछ दिन पहले
अपने
शरीर की छुअन को
मेरे शरीर से 
एकाकार कर
मेरे होठों पर
अपने होठों का
रख भार
फिर लौट कर आने का
वादा कर
मुझे मेरे
अपने होने का
एहसास करा गयी
वो
दो तिल वाली लड़की...



Vicky Tiwari
===============================================
:: Thought for the day ::
प्यार कभी नाप तौल के, थोडा थोडा करके, कंजूसी से नहीं करना चाहिए या अगर आप पहले से ही प्यार में हैं तो किन्ही भी परिस्तिथियों के चलते अपने प्यार का अपने हाथों गला न घोंटें... विश्वास रखें अगर आपका प्यार सच्चा है तो आपकी बड़ी से बड़ी परेशानी या परिस्तिथि चुटकी बजाते ही, जल्दी ही हल हो जाएगी. बस आपको एक काम करते चले जाना है -
अपने प्यार की दौलत 'अपने प्यार' पर लुटते चले जाईये...

07 December 2010

Day 20, Home, Jabalpur (M.P.)

अगली कविता हमने ३० / ०३ / २००५ को लिखी थी... समय - एक उदास दोपहरी 

Tum...


तुम
जिस दिन से
मुझसे मिली
तो
लगा
जैसे
चलते जीवन में
इक मुस्कराहट आ गयी हो
मेरे जीवन का
सबसे खूबसूरत
सच हो
तुम
कभी
मेरे जीवन का सपना थी
तुम
लेकिन...
अब,
ज़िन्दगी
सिर्फ एक
सुहानी शाम बन कर रह गयी
तुम्हें पाने कि वो उम्मीद
बस...
एक ख्वाब बनकर
रह गयी...

Vicky Tiwari

:: Thought for the day ::
सफलता अगर सपनों की कीमत पर हासिल कि जाये तो उसका कोई अर्थ नहीं... 

06 December 2010

Day 19, Home, Jabalpur (M.P.)

Main Aksar Dil Kho Baithta hun...


वो
कहती है कि
में
अक्सर दिल खो बैठता हूँ
वो
क्या जाने कि
में
इक खूबसूरत नियम
पर चलता हूँ -
"प्रेम सम्बन्ध हो तो राग है,
स्वाभाव हो तो वीतराग है"
ये सुन
वो कहती है
तुम तो बड़े आशिकाना
हो गए
उसके द्वारा
कागज़ पर
होठों से किये
दस्तखत ख़त हो गए
हम तो
बिन मारे ही
आह़त हो गए
और इस तरह हम
श्रीमान आशिक हो गए...
Vicky Tiwari
=========================================================================
Thought for the day
If love is not madness, then its not love...
=========================================================================
Visit @ the link given above...



05 December 2010

Day 18, Home, Jabalpur (M.P.)

Wo Gazal...


उसने
कागज़ को
होठों से दबाकर
जो फेंका तो
लिपिस्टिक ग़ज़ल हो गयी
और
मैंने उसे उठा कर
जो ज़हन से लगाया
तो वो
उम्र कि
सबसे बड़ी
धरोहर हो गयी
खुदा का फज़ल हो गयी
मीरा का भजन हो गयी
अब मेरी ज़िन्दगी
खुद एक ग़ज़ल हो गयी...


Vicky Tiwari


Thought for The DayAap agar har kaam faayede ke liye karte hain to yaad rakhiye aap ab tak kaee baar nuksaan utha chuke hain...


04 December 2010

Day 17, Home, Jabalpur (M.P.)

Aaj Dil Ne Socha Yun...

आज दिल ने सोचा यूँ
कि
किसी अपने को क्या दूँ
उसे में
कैडबरी देरी मिल्क दूँ
'रिश्तों की मिठास वाली'
या फिर
पेप्सी दूँ
क्योंकि
'ये दिल मांगे मोरे'
फिर सोचा
एयरटेल की सिम दूँ
जिससे
'एक्सप्रेस यौर्सेल्फ़' किया जा सके
क्यों न
विल्स दूँ
अरे वी आर 'मेड फॉर याच अदर' यार
कुछ समझ नहीं आ रहा था
मन नहीं मन तो सोचा की
कोलगेट दूंगा
'ये है हमारा सुरक्षा चक्र'
अंत में तय हुआ की उसे
एल आई सी की पालिसी दूंगा
'ज़िन्दगी के साथ भी,
ज़िन्दगी के बाद भी...'

Vicky Tiwari
=========================
http://www.facebook.com/photo.php?pid=5841245&l=987be38fd7&id=708537373
http://www.facebook.com/photo.php?pid=5841215&l=2c2629ef3d&id=708537373
http://www.facebook.com/photo.php?pid=5841225&l=68b73765a1&id=708537373
http://www.facebook.com/photo.php?pid=5841236&l=e31e4263c9&id=708537373
http://www.facebook.com/photo.php?pid=5841239&l=19bf3ecca4&id=708537373
=========================
These are the links of some photos on my facebook a'c... Plz do see them... Happy Blogging... Bye Amigos